उत्तराखंड में ग्लेशियर टूटने के बाद पहाड़ी राज्यों के लोग इस सोच में हैं कि कहीं उनके राज्य में भी ये खतरा तो नहीं है। हिमालय श्रृंखला में आने वाले राज्य हिमाचल क बारे में आपको बताते हैं कि वहां पर ग्लेशियर का खतरा कितना है।
उत्तराखंड में ग्लेशियर टूटने के बाद हिमाचल में भी अलर्ट जारी किया गया है। हिमालय क्षेत्र में छोटे-बड़े करीब 9000 ग्लेशियर हैं, लेकिन उत्तराखंड के मुकाबले हिमाचल में ग्लेशियर से खतरा कम है। उसकी वजह है दोनों राज्यों की भौगोलिक परिस्थितियां। ग्लेशियरों का पिघलना, टूटना ये सब मार्च के बाद होता है क्योंकि गर्मी बढ़ती है।
लाहौल स्पीति के छोटा शिगरी और जिंगजिंगबार ग्लेशियर पर रिसर्च करने वाले केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला में पर्यावरण विज्ञान और ग्लेशियर के जानकार असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ अनुराग के अनुसार हिमाचल में ग्लेशियर के टूटने का खतरा कम है। उसके पीछे उन्होंने वजह बताते हुए कहा कि उत्तराखंड में घाटियां काफी संकरी हैं और ज्यादातर लोग नदी नालों या फिर ग्लेशियरों के आस-पास बसे हुए हैं।
हिमाचल के किन्नौर-लाहौल स्पीति में ऐसा नहीं है। लाहौल के ग्लेशियर टूट कर चंद्रभागा नदी में गिरते हैं। इस जिले का क्षेत्रफल बाकी जिलों से बहुत कम है और जो लोग इस जिले में बसे भी हैं नदी नालों और ग्लेशियरों से दूर बसे हैं। प्रोफेसर अनुराग का कहना है कि अगर ग्लेशियर के खतरे से बचना है कि रिस्की जोन जैसे नदी नाले और ग्लेशियर के आस-पास घर न बनाएं।