शिमला। कोरोना के खिलाफ जंग में हिमाचल प्रदेश अभी भी पूरे देश में टॉप पर बना हुआ है। सबसे पहले बात वैक्सीनेशन की करते हैं। हिमाचल में अभी तक कोरोना वैक्सीन की पहली डोज 96 प्रतिशत तक लगाई जा चुकी है। 31 अगस्त तक हर हिमाचली को कोरोना वैक्सीन की पहली डोज लगाने का सरकार का लक्ष्य है। इस बात की जानकारी खुद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने दी है।
पांच जिले कुल्लू, हमीरपुर, सोलन, किन्नौर और लाहौल स्पीति में कोरोना वैक्सीन की पहली डोज लगाई जा चुकी है। जयराम सरकार ने 55 लाख लोगों को कोरोना वैक्सीन लगाने का लक्ष्य रखा था जिनमें से 23 अगस्त तक लगभग 52 लाख लोगों लोगों को कोरोना वैक्सीन की पहली डोज लगाई जा चुकी थी। 31 अगस्त तक सरकार ने 100 प्रतिशत वैक्सीनेशन का लक्ष्य रखा है।
हिमाचल प्रदेश को कोरोना मुक्त बनाने और वैक्सीनेशन का लक्ष्य हासिल करने के लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने खुद मोर्चा संभाला हुआ है। मुख्यमंत्री ने 19 अगस्त को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सभी जिलों को डीसी और एसपी के साथ बातचीत कर जिलों में कोरोना की स्थिति का जायजा भी लिया था। बागवानी सीजन के लिए चलते हुए सीएम ने कुल्लू, मंडी, शिमला, चंबा, किन्नौर में सेब सीजन को ध्यान में रखते हुए मजदूरों की जांच की व्यवस्था करने के निर्देश भी दिए थे।
वहीं मुख्य सचिव राम सुभग सिंह ने भी जिला के अधिकारियों को निर्देश दिए कि ग्रामीण क्षेत्रों मंक पंचायतों और उपमंडल स्तर की टीमों को और अधिक सक्रिय किया जाए। मामलों की निगरानी के लिए 10-12 पंचायतों के लिए एक कोविड अधिकारी तैनात किया जाए। पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू ने इस महामारी के प्रसार को रोकने के लिए धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रमों की निगरानी करने की जरूरत पर बल दिया।
हिमाचल में स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में नहीं हुई मौतें
कोरोना की पहली लहर और दूसरी लहर में देश में लाखों लोगों की मौत हुई। पहली लहर में जब पूरे देश में मजदूर बेरोजगार हुए और अपने-अपने घर जाने के लिए पैदल ही निकल पड़े तब भी हिमाचल की जयराम सरकार ने संवेदनशीलता दिखाते हुए मजदूरों को मुफ्त राशन की किटें उपलब्ध करवाईं और उनके घर पहुंचने की व्यवस्था भी की। इतना ही नहीं बाहरी राज्यों में जो हिमाचली फंसे थे उन्हें लाने के लिए हिमाचल पथ परिवहन निगम की बसें भेजीं और उन्हें वापस हिमाचल लाया गया।
कोरोना की दूसरी लहर में देश में सबसे ज्यादा मौतें, अस्पताल में बेड की कमी, डॉक्टरों का अभाव, समय पर इलाज नहीं मिलना, ऑक्सीजन की कमी, वेंटिलेटर की कमी से हुई, लेकिन हिमाचल में ऐसा एक भी मामला नहीं आया। हिमाचल में कोरोना काल में किसी भी व्यक्ति की मौत बेड, वेंटिलेटर, ऑक्सीजन या इलाज के अभाव में नहीं हुई। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कोरोना काल में हिमाचल का हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर पिछले 50 साल की तुलना में और मजबूत हुआ है। हिमाचल के सभी जिले के अस्पतालों में 837.3 प्रतिशत बेड की क्षमता बढ़ी। जिनमें से कांगड़ा में 759 बेड, शिमला में 748 बेड, मंडी में 512 बेड, बिलासपुर में 135 बेड, चंबा में 185 बेड, हमीरपुर में 156 बेड, किन्नौर में 30 बेड, कुल्लू में 74 बेड, लाहौत स्पीति में 40 बेड, सिरमौर में 435 बेड, सोलन में 490 बेड, ऊना में 128 बेड बढ़ाए गए।
इसके अलावा प्रदेश के कई अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट लगाए गए और कई अस्पताल में वेंटिलेटर लगाए गए। आपको बता दें कि पहली लहर के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कोरोना के खिलाफ जंग में हिमाचल प्रदेश मॉडल की तारीफ की थी।