इस आर्टिकल में हम सिर्फ एक विषय पर बात करना चाहते हैं कि आखिर 2022 में जनता मुख्यमंत्री के तौर पर किसे देखना पसंद करेगी। मौजूदा यंग चीफ मिनिस्टर जयराम ठाकुर या फिर 86 साल के वीरभद्र सिंह को।
ये सवाल इसलिए क्योंकि वीरभद्र सिंह ने अपने चुनाव लड़ने की थोड़ी सी
इच्छा जाहिर की है। 6 बार के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने सोलन में पहले चुनाव
नहीं लड़ने का ऐलान किया, लेकिन जैसे ही मीडिया ने इसे मुद्दा बनाया तो वीरभद्र
सिंह ने अपने बयान से पलटी मार दी। उन्होंने देर शाम सोशल मीडिया पर लिखा मेरे
हल्के फुल्के व्यंग को मीडिया ने गंभीरता से ले लिया।
वीरभद्र सिंह ने अपनी पोस्ट में ये भी लिखा कि जब तक मां भीमाकाली
चाहेगी मैं प्रदेश की सेवा करता रहूंगा। अब इस लाइन के मायने साफ हैं कि उनकी
मुख्यमंत्री बनने की प्रबल दावेदारी है, लेकिन ये बात भी सच है कि हिमाचल में
कांग्रेस के पास उनके अलावा कोई चेहरा भी नहीं है। कांग्रेस अब वीरभद्र सिंह के
सहारे अपनी राजनीति की नाव को सफलतापूर्वक किनारे पर लगाना चाहती है।
तो वहीं दूसरी तरफ यंग और डायनामिक पर्सनैलिटी जयराम ठाकुर हैं। पांचवी
बार सिराज विधानसभा से जीतकर विधानसभा पहुंचे और 2017 में पहली बार मुख्यमंत्री बने जयराम ठाकुर
ने कोरोना काल में पूरे देश को बता दिया कि पहाड़ी राज्य जहां साधन और संसाधनों की
हमेशा कमी रहती है वहां पर ऐसी महामारी के समय में भी सरकार कैसे चलाई जाती है। हिमाचल
के कोविड सेंटर्स में साफ सफाई, बढ़िया खाना और मरीजों की अच्छी देखभाल की
व्यवस्था थी। बाहरी राज्यों में फंसे हिमाचलियों को सुरक्षित उनके घरों में
पहुंचाया गया। बाहरी राज्यों के कामगार जो हिमाचल में रोजी रोटी की तलाश में आए
लेकिन कोरोना के कारण बेरोजगार हो गए, उनकी भी सरकार ने भरपूर मदद की और उन्हें
अपने-अपने घरों में पहुंचाया। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर जिस तरह खुद सोशल मीडिया
में एक्टिव रहे और पूरी अफसरशाही को काम पर लगाया वो इस बात का प्रमाण है कि अब
यंगस्टर किसी से कम नहीं है।
खैर, वीरभद्र सिंह, प्रेम कुमार धूमल और शांता कुमार जैसे अनुभवी
मुख्यमंत्री भी कभी युवा थे और उन्हें भी युवा अवस्था में ही राज्य की कमान
संभालने का मौका मिला। जाहिर सी बात है उन्हें भी पहले कार्यकाल में बहुत सी
परेशानियों का सामना करना पड़ा होगा, लेकिन समय के साथ परिस्थितियां भी बदलीं और
सरकार के कामकाज का तरीका भी बदला है। फिलहाल चुनाव में अभी वक्त है। पर प्रदेश की
दिशा और दशा तय करना मतदाताओं के हाथ है और पब्लिक सब जानती है।