सोलन। भारत का पहला दवा सामग्री उद्योग हिमाचल में स्थापित होने जा रहा है। 850 करोड़ रुपये के लिए इस प्रोजेक्ट से एक तो भारत की चीन पर निर्भरता कम होगी और दूसरा हिमाचल के 2 हजार से ज्यादा युवाओं को रोजगार मिलेगा। हिमाचल में निवेश लाने के लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर दिन रात प्रयास कर रहे हैं, ये उसी प्रयास का नतीजा है कि राज्य में दवा सामग्री उद्योग स्थापित किया जा रहा है। हिमाचल नालागढ़ के पलासड़ा में एक्टिव फार्मास्युटिकल इनग्रेडिएंट (एपीआई) उद्योग स्थापित होगा। इस उद्योग के स्थापित होने के बाद दवाइयों का सॉल्ट चीन नहीं बल्कि हिमाचल प्रदेश में ही तैयार हो सकेगा।
2017 में जब जयराम सरकार सत्ता में आई तो पहली बार हिमाचल के इतिहास की सफल इन्वेस्टर मीट करवाई और हजारों करोड़ रुपये के लिए एमओयू साइन किए। तीन साल में हिमाचल में 50 हजार करोड़ से ज्यादा का निवेश हो चुका है। हिमाचल में 342 बीघा जमीन पर लगने वाला एपीआई उद्योग प्रदेश का ही नहीं बल्कि देश का पहला उद्योग होगा।
देश का यह पहला उद्योग होगा, जिसमें एंटीबायटिक दवाइयों का सॉल्ट तैयार होगा और प्रदेश का यह ड्रीम प्रोजेक्ट है। अभी तक दवा उद्योग के लिए कच्चा माल चीन से आता था, लेकिन अब यहां पर एपीआई उद्योग खुलने से जहां बीबीएन के दवा निर्माताओं को सीधा लाभ होगा, वहीं देश के अन्य दवा निर्माता कंपनियों को भी बाहर से कच्चा माल नहीं मंगवाना पड़ेगा। नालागढ़ के पलासड़ा में सरकार ने नया औद्योगिक क्षेत्र खोला है। यहां पर 576 बीघा 12 विस्वा जमीन उद्योग विभाग के नाम कर दी है। जमीन नाम होते ही यहां पर बड़े-बड़े औद्योगिक घराने आने शुरू हो गए हैं।
बद्दी एशिया का सबसे बड़ा फार्मा हब है। पूरे प्रदेश में 750 फार्मा इकाइयां हैं, जिन्हें कच्चा माल दूसरे देशों से मंगवाना पड़ रहा है। अगर यहां पर दवा कंपनियों के लिए कच्चे माल का उद्योग खुल जाता है, तो एशिया के सबसे बड़े फार्मा हब बद्दी की दवा कंपनियों को सबसे ज्यादा फायदा होगा। देश की 30 फीसदी दवाओं का उत्पादन हिमाचल प्रदेश में होता है।
उद्योग विभाग के अतिरिक्त निदेशक टीआर शर्मा ने बताया कि पहले यह उद्योग पंजाब में लगने जा रहा था। वहां पर जमीन का सौदा भी हो गया था, लेकिन प्रदेश की जयराम सरकार की सरल औद्योगिकीकरण नीति के चलते यह अब हिमाचल में लगने जा रहा है। अभी इन्फ्रास्ट्रक्चर को लेकर बातचीत चल रही है। जल्द इस पर अंतिम मोहर लग जाएगी।