केंद्र सरकार ने हिमाचल प्रदेश के लिए 5000 करोड़ रुपए की इन्वेस्ट वाले मेडिकल डिवाइस पार्क की मंजूरी दे दी है। सोलन जिला के नालागढ़ में 265 एकड़ जमीन पर मेडिकल डिवाइस पार्क बनेगा। जयराम सरकार काफी लंबे समय से इस मेडिकल डिवाइस पार्क को हिमाचल में लाने का प्रयास कर रही थी और इसके लिए सीएम जयराम खुद भी दिल्ली दौरा कर चुके हैं। आखिरकार मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के प्रयास से हिमाचल में 5000 करोड़ का बड़ा इन्वेस्टमेंट आ गया।
भारत सरकार की मिनिस्ट्री ऑफ केमिकल और फर्टिलाइजर ने इस संबंध में अधिसूचना भी जारी कर दी है इस मेडिकल डिवाइस पार्क में विभिन्न कंपनियां 5000 करोड़ रुपए का इन्वेस्ट करेंगी। जिनका सालाना टर्नओवर 20 हजार करोड़ रुपए होगा। इस उद्योग के लगने से राज्य में 10 हजार लोगों को रोजगार भी मिलेगा। मेडिकल डिवाइस पार्क के अंदर ही लोगों को कई सुविधाएं मिलेंगी। इस पार्क के अंदर जितने भी कंपनियां होंगी, उन सभी के लिए बेहतर तरह का इंफ्रास्ट्रक्चर, सड़कें समेत तमाम तरह की सुविधाओं को मुहैया करवाया जाएगा।
मेडिकल की हर जरूरत पूरी होगी
मेडिकल डिवाइस के बन जाने के बाद हिमाचल समेत नॉर्थ इंडिया के लिए मेडिकल उपकरणों की सप्लाई यहीं से होगी। अस्पतालों में प्रयोग होने वाले मेडिकल उपकरण भी इस मेडिकल डिवाइस पार्क के अंदर तैनात कंपनियां बनाएंगी, वहीं फार्मा कंपनियों के लिए भी यहीं से जरूरी सामान दिया जाएगा। स्वास्थ्य के क्षेत्र में हिमाचल का नाम दोबारा से मानचित्र पर आ जाएगा।
मेडिकल डिवाइस पार्क बनाने पर खर्च होंगे 266.95 करोड़ रुपये
हिमाचल के नालागढ़ में बनने वाला यह मेडिकल डिवाइस पार्क 266.95 करोड़ से बनेगा। केंद्र सरकार ग्रांट इन एड के रूप में 100 करोड़ रुपए देगी, जबकि बाकी का बचा हुआ 160.95 करोड़ स्टेट गवर्नमेंट खर्च करेगी। जल्द ही इस मेडिकल डिवाइस पार्क की नींव रखी जाएगी।
सीएम जयराम ठाकुर और इंडस्ट्री मिनिस्टर विक्रम ठाकुर ने केंद्र का जताया आभार
वहीं मेडिकल डिवाइस पार्क के हिमाचल को मंजूर होने के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और इंडस्ट्री मिनिस्टर विक्रम सिंह ठाकुर ने केंद्र सरकार का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि नॉर्थ इंडिया के लिए यह पहला मेडिकल डिवाइस पार्क स्वीकृत हुआ है जो कि हिमाचल को मिला है। हिमाचल की औद्योगिक विकास गति को यह पार्क बढ़ावा देगा। यहां के लोगों को भी रोजगार मिलेगा।
अब इस तरह मिलेगी विकास को गति
इसके लिए भूमि अधिग्रहण का कार्य जल्द पूरा किया जाएगा। रेललाइन बनने से उद्योगों के लिए कच्चा माल लाने व तैयार माल भेजने में सुविधा होगी। इसके अलावा पिजौर वाया बद्दी-नालागढ़ फोरलेन निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण के कार्य के अतिरिक्त 15 करोड़ की राशि का बजट में प्रावधान किया गया। परवाणू, बद्दी और नालागढ़ में सीवरेज के लिए भी बजट में ख्याल रखा गया है।
इस योजना के अंतर्गत विकसित किए जाने वाले मेडिकल डिवाइस पार्क एक ही स्थान पर सामान्य बुनियादी सुविधाएं प्रदान करेंगे, जिससे देश में चिकित्सा उपकरणों का विनिर्माण करने के लिए एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण होगा और विनिर्माण लागत में भी बहुत कमी आएगी. इस योजना का कुल वित्तीय परिव्यय 400 करोड़ रुपये है और इस योजना की अवधि वित्त वर्ष 2020-2021 से लेकर वित्त वर्ष 2024-2025 तक है. चयनित किए गए मेडिकल डिवाइस पार्क को सामान्य बुनियादी सुविधाओं की परियोजना लागत का 70 प्रतिशत वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी. पूर्वोत्तर राज्यों और पहाड़ी राज्यों के मामले में वित्तीय सहायता परियोजना लागत का 90 प्रतिशत होगी. योजना के अंतर्गत एक मेडिकल डिवाइस पार्क को अधिकतम 100 करोड़ रुपये तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी.
16 राज्यों से प्राप्त हुए थे केंद्र सरकार को प्रस्ताव
मेडिकल डिवाइस पार्क के अंतर्गत कुल मिलाकर 16 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से प्रस्ताव केंद्र सरकार को प्राप्त हुए।. राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों का चयन प्रतिस्पर्धा पर हुआ। जो योजना के मूल्यांकन मानदंडों में प्रतिबिंबित होता है। राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए रैंकिंग पद्धति योजना दिशा-निर्देशों में निर्धारित मापदंडों जैसे उपयोगिता शुल्क, राज्य नीति प्रोत्साहन, पार्क का कुल क्षेत्रफल, भूमि का पट्टा दर, पार्क की कनेक्टिविटी, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग, तकनीकी जनशक्ति की उपलब्धता आदि पर आधारित थी।
इन राज्यों को मिली मंजूरी
इस योजना के अंतर्गत मूल्यांकन के आधार पर, हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश राज्य सरकार के प्रस्तावों को 'सैद्धांतिक' मंजूरी प्रदान की गई। इन राज्यों की राजकोषीय क्षमता, पारिस्थितिकी तंत्र आकर्षण और औद्योगिक उपस्थिति के संदर्भ में किए गए गुणात्मक मूल्यांकन के आधार पर भी इन राज्यों के चयन को मान्यता प्रदान की गई।