अजोबीगरीब बीमारी से ग्रसित अशोक के इलाज का मुद्दा मीडिया में उछला तो मंत्री वीरेंद्र कंवर का बयान भी आ गया। हिमाचल सरकार में मंत्री वीरेंद्र कंवर कुटलेहड़ विधानसभा से विधायक हैं। मंत्री वीरेंद्र कंवर ने अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट कर इसके बारे में जानकारी दी है।
मंत्री वीरेंद्र कंवर ने लिखा है, ‘कुटलेहड़ विधानसभा क्षेत्र के निवासी अशोक, जिनका पांव का ऑपरेशन होगा और उनका उपचार ऊना अस्पताल में चल रहा है। एक जनसेवक होने के तौर पर हमने टांडा, कांगड़ा अस्पताल में तैनात वरिष्ठ चिकित्सकों से अशोक के उपचार संबंधी बात की थी, जिस पर उन्होंने मुझे कुछ जानकारी और दवाओं संबंधी एस्टीमेट दिया है। इसके दृष्टिगत हमने कुछ खर्चों के लिए 20,000 रुपये की राशि अशोक के बैंक खाता में जमा करवाई और ऊना अस्पताल में चिकित्सकों से अशोक को निशुल्क स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाने की बात भी की थी। हमारी सरकार मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता कोष के माध्यम से जरूरतमंद मरीजों को उचित राशि प्रदान कर रही है। सोशल मीडिया पर कुछ पोर्टल्स के कर्मचारियों द्वारा इस विषय को उछाला जा रहा है जो उचित नहीं है। ऐसे मरीज व्यक्ति के उपर राजनीति मुद्दा नहीं बनाना चाहिए जबकि उसकी मदद करने के लिए कदम उठाने चाहिए। मैं बताना चाहूंगा कि असहाय और योजनाओं के पात्र नागरिकों को हमारी सरकार हरसंभव सहायता प्रदान करने हेतु प्रतिबद्ध हैं और इस दिशा में हम प्रभावी कदम उठा भी रहे हैं।‘
मंत्री वीरेंद्र कंवर ने लिखा है कि पीड़ित की मदद की जा रही है और साथ में पैसे भेजने का लेटर भी शेयर किया है, लेकिन पैसे ट्रांसफर हुए हैं या नहीं इसकी जानकारी शेयर नहीं की है। बहरहाल पीड़ित का कहना है कि उसे मदद की जरूरत है और पैर काटने के लिए डॉक्टर्स ने 20,000 का खर्च बताया है जो उसके पास नहीं है।
क्या है मामला
कुटलैहड़ विधानसभा के गांव स्कोन के रहने वाले अशोक का एक पैर कट चुका है और दूसरा पूरी तरह गल सड़ चुका है। हाथ भी गलने लग पड़ रहा है। अशोक पिछले एक साल से बिस्तर पर पड़े हैं और चलने फिरने में असमर्थ हैं। एक साल से मां भी अशोक का मल-मूत्र साफ कर रही है।
इलाज के अभाव में कई महीनों से तड़प रहा शख्स, गुहार- कोई मेरा गला-सड़ा पैर कटवा दो
लाइव टाइम्स टीवी से बातचीत में अशोक ने बताया कि वो होशियारपुर में कहीं काम करता था। वहां पर उसे चोट लगी और हाथ पर काला दाग पड़ गया। उसके बाद हाथ एक उंगली खराब हुई जिसे ऑपरेशन कर काटना पड़ा। बाद में एक पैर खराब हो गया। डॉक्टर्स की सलाह पर पैर भी काट दिया। अब दूसरा पैर भी गल-सड़ रहा है, लेकिन परिवार की हालत इतनी खराब है कि इलाज के लिए एक रुपया भी नहीं है।
अशोक ने बताया कि वो अस्पताल में पहले 17 दिन भर्ती रहे और फिर 28 दिन तक, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। अस्पताल में उनकी केयर भी नहीं हुई। 42 वर्षीय अशोक चलने फिरने में पूरी तरह असमर्थ हैं। मल-मूत्र भी बिस्तर पर ही करते हैं और मां ही उनकी देखभाल करती है।
अशोक कहते हैं कि उन्हें भूख-प्यास नहीं लगती। दर्द से जान निकलने लग पड़ती है। वो सबसे एक ही गुजारिश करते हैं कि कोई उनका इलाज करवा दो। कोई उनका पैर कटवा दो ताकि वो ठीक हो जाएं क्योंकि वो जीना चाहते हैं।
अशोक की शादी भी हुई थी, लेकिन सात जन्मों का साथ निभाने वाली इस मुश्किल घड़ी में उसका साथ छोड़कर चली गई। उन्होंने बताया कि कुछ दिन पहले उन्होंने सरकारी अस्पताल में इलाज के लिए मांग की। एंबुलेंस भी आई, लेकिन वारिस न होने की वजह से एंबुलेंस खाली चली गई। डॉक्टर्स ने टांग काटने का खर्च 20 हजार रुपये बताया है, लेकिन पैसों के अभाव में इलाज नहीं हो पा रहा है।