शिमला। हिमाचल की महिलाओं के लिए चौंकाने वाली बात सामने आई है। पंद्रहवें वित्तायोग ने की रिपोर्ट संसद में पेश की गई जिसमें पता चला है कि राज्य की आधे से ज्यादा एनिमिया की बीमारी से ग्रस्त हैं। वित्त आयोग ने हिमाचल को रेड एंट्री दी है मतलह लाल स्याही से लिखा हुआ है।
वित्त आयोग के अनुसार संस्थागत प्रसव में हिमाचल की महिलाओं की स्थिति
देश के कई अन्य राज्यों से खराब है। रिपोर्ट के अनुसार हिमाचल की 53.5 फीसदी
महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं। जबकि देश का औसत आंकड़ा 53.1 प्रतिशत है। ऐसे में
देखा जाए तो हिमाचल का आंकड़ा देश से 0.4 फीसदी ज्यादा है।
बात करें संस्थागत प्रसव की हिमाचल का फीसदी 76.4 है जबकि देश का 78.9
है। यहां ये आंकड़ा 2.5 फीसदी कम है। अब इसका मतलब समझिए कि हिमाचल की करीब एक
चौथाई महिलाएं प्रसव के लिए अस्पताल नहीं पहुंच पा रही हैं। रिपोर्ट के अनुसार
हिमाचल में 10 हजार की आबादी के लिए एक अस्पताल है। 200 लोगों पर एक नर्स, 700 पर
एक फार्मासिस्ट और 2200 लोगों के इलाज के लिए एक डॉक्टर है।
हिमाचल में एक व्यक्ति के स्वास्थ्य पर करीब 3074 रुपये खर्च हो रहे
हैं। जबकि देश के बाकी राज्यों में औसतन 1218 रुपये खर्च होते हैं। हिमाचल में
1000 बच्चों में 19 की मौत होती है जबकि देश का ये आंकड़ा औसतन 32 है।
एनीमिया क्या है ?
एनीमिया का मतलब है शरीर में खून की कमी। इंसान के शरीर में
हिमोग्लोबिन खून का मात्रा बताता है। महिलाओं में इसकी समस्या ज्यादा है। इनमे भी
गर्भवती महिलाएं इससे ज्यादा प्रभावित हैं और एनीमिया से और बीमारियां पैदा होने
का खतरा होता है। अगर समय रहते इसका उपचार न हो तो समस्या ज्यादा भी बढ़ सकती है।
एनीमिया के लक्ष्ण
शरीर का रंग सफेद होना शुरू हो जाता है। कमजोरी, चक्कर आना, बेहोश हो
जाना, सांस फूल जाना, चेहरे और पैरों-हाथों में सूजन आ जाना इसके सामान्य लक्ष्ण
हैं। अगर ऐसा हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
एनीमिया होने के कारण
महिलाओं का बार-बार गर्भवती होना, माहवारी के समय ज्यादा खून बह जाना,
शौच, उल्टी या खांसी के साथ खून आना और लौह तत्व वाली चीजों का उचित मात्रा में
सेवन नहीं करना।